Saturday, December 19, 2015

उत्तर प्रदेश में पहली बार तीन सौ से ज्यादा आदिवासी बने पंचायत प्रमुख



(1) उत्तर प्रदेश की गोंड़, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड़, खरवार, खैरवार, परहिया, बैगा, पंखा, पनिका, अगरिया, चेरो, भुईया, भुनिया जैसी आदिवासी जातियां गणतंत्र भारत के पैंसठ सालों में पहली बार मूल पहचान और आबादी के अनुपात में लड़ीं त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव।
(2) उत्तर प्रदेश में दस लाख से ज्यादा आबादी वाली ये जातियां देश की आजादी के बाद से ही अपनी पहचान और संवैधानिक अधिकारियों के लिए कर रही थीं संघर्ष।
(3) उत्तर प्रदेश के आदिवासी बहुल जनपद सोनभद्र में पिछले डेढ़ दशक से करीब आधा दर्जन ग्राम पंचायतों का नहीं हो पा रहा था गठन।

by शिव दास

देश की आजादी के करीब 68 सालों में पहली बार उत्तर प्रदेश की गोंड़, धुरिया, नायक, ओझा, पठारी, राजगोंड़, खरवार, खैरवार, परहिया, बैगा, पंखा, पनिका, अगरिया, चेरो, भुईया, भुनिया जैसी आदिवासी जातियों के तीन सौ से ज्यादा लोग अपनी मूल पहचान पर त्रिस्तरीय पंचायतों के प्रमुख बने। जबकि कोल, कोरबा, मझवार, उरांव, मलार, बादी, कंवर, कंवराई, वनवासी सरीखी आदिम जातियों को अपनी मूल पहचान पर यह अधिकार हासिल करने के लिए अभी और संघर्ष करना होगा।